क्या आप इरेक्शन बनाए रखने में असमर्थ हैं क्यों?

जब भी कोई पुरुष अपनी महिला पार्टनर के साथ यौन-सम्बन्ध स्थापित करने की प्रक्रिया में शामिल होता है तो इसके लिए उसके लिंग में अनुकूल तनाव व पर्याप्त कठोरता का होना नितान्त रूप से आवश्यक होता है क्योंकि स्त्री और पुरुष के बीच यौन-सम्बन्ध स्थापित होना एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें शान्त मस्तिष्क, अच्छे हार्मोंस, कोमल भावनाओं, स्वस्थ तंत्रिकाओं और मजबूत मांसपेशियों के साथ ही सम्पूर्ण शरीर में पर्याप्त रक्त-संचार के प्रवाह की महत्वपूर्ण भूमिका होती है परन्तु इनमें अगर किसी भी प्रकार की कोई भी बाधा कहीं से भी उत्पन्न होती है तो इसका दुष्परिणाम यह होता है कि उस पुरुष के लिंग में अनुकूल तनाव और पर्याप्त कठोरता का सर्वथा अभाव हो जाता है और लाखों कोशिशों के बावजूद वह पुरुष चाहकर भी किसी भी परिस्थिति में अपनी महिला पार्टनर के साथ सेक्स-सम्बन्ध स्थापित करने की स्थिति में नहीं रह जाता है. पुरुष की इसी स्थिति को ही यौन-शास्त्रीय भाषा में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन के नाम से जाना जाता है. सामान्यतया पुरुष की ऐसी स्थिति के लिए उसकी शारीरिक परिस्थितियां जैसे कि थकान, चिन्ता और स्वास्थ्य-सम्बन्धी अन्य विकृतियां मुख्य रूप से जिम्मेवार होती हैं.

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पुरुष की इन्हीं शारीरिक और मनोवैज्ञानिक परिस्थितियों के संयोजन से उसकी यौन-सम्बन्ध स्थापित करने की प्रक्रिया में शिथिलता आ जाती है जिसकी वजह से उसके लिंग में अनुकूल तनाव और पर्याप्त कठोरता को प्राप्त कर पाना अत्यन्त ही कठिन हो जाता है जिसका दुष्परिणाम यह होता है कि पुरुष मानसिक रूप से अत्यन्त ही तनावग्रस्त हो जाता है और उसकी यह स्थिति उसे धीरे-धीरे अवसादग्रस्त स्थिति में लाकर खड़ा कर देती है तथा उसे अपने पार्टनर के सामने भी बहुत बड़ी शर्मिंदगी का शिकार होना पड़ जाता है और इतना ही नहीं बल्कि वह अज्ञात पारिवारिक व सामाजिक भय, झिझक, सहज संकोच और शर्मिंदगी की वजह से अपनी इस समस्या के सन्दर्भ में किसी से भी कुछ भी कह नहीं पाता है और अन्दर-ही-अन्दर अपने-आपमें घुटता हुआ अपनी जिन्दगी जीने पर विवश हो जाता है.



अव्यवस्थित जीवन-शैली, अनावश्यक भाग-दौड़, कार्य-स्थल पर काम के बोझ का प्रभाव, आपसी रिश्तों में तल्खियां, अनुचित आहार-व्यवहार, धमनियों में पर्याप्त रक्त-प्रवाह की कमी, हृदय रोग, अनावश्यक चिन्ता, मधुमेह, अवसाद, उच्च रक्त-चाप, तम्बाकू, सिगरेट, शराब, ड्रग्स, प्रतिबंधित दवाओं का सेवन, अनिद्रा, प्रोस्टेट ग्रंथियों में विकृति, सर्जरी, अकस्मात चोटिल होना, रीढ़ की हड्डियों में कमजोरी आदि कुछ ऐसे महत्वपूर्ण कारण हैं जो पुरुषों के लिंग को बहुत ही बुरी तरह प्रभावित कर उसे इस गम्भीर यौन-रोग की गिरफ्त में लाकर खड़ा कर देते हैं.


सामान्यतया जब पुरुष अपने अन्तर्मन में कामोत्तेजित होता है तो उसका मस्तिष्क अपनी तंत्रिकाओं के माध्यम से उसके लिंग को स्पंदित करना शुरू कर देता है जिससे उसके लिंग में रक्त-संचार पर्याप्त मात्रा में प्रवाहित होने लगता है जिसके परिणामस्वरूप उसके लिंग को अनुकूल तनाव व पर्याप्त कठोरता स्वत: प्राप्त होने लगती है परन्तु इस प्रक्रिया में जैसे ही कोई बाधक परिस्थितियां उत्पन्न होती हैं तो उसका दुष्परिणाम यह होता है कि उस पुरुष का लिंग तनावरहित होकर लुंज-पुंज स्थिति को प्राप्त हो जाता है और यही वह प्रमुख वजह होती है जिसके कारण पुरुष इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का शिकार हो जाता है और ऐसी स्थिति में पुरुष के अन्तर्मन में कामेच्छा की कमी भी हो जाती है तथा उसके मस्तिष्क के लिए अपनी तंत्रिकाओं को संवेदनशील करने के साथ ही लिंग में अनुकूल तनाव और पर्याप्त कठोरता को उत्पन्न कर पाना भी अत्यन्त ही दुष्कर कार्य हो जाता है.


इस तरह की परिस्थितियों में पुरुषों के लिए यह नितान्त रूप से आवश्यक हो जाता है कि अगर उसके जीवन में किसी भी प्रकार की कोई बुरी लत है तो उसे चाहिए कि वह तुरन्त इससे अपने-आपको मुक्त करने की दिशा में मानसिक दृढ़ता के साथ भरपूर प्रयास करे क्योंकि किसी भी प्रकार की बुरी लत क्यों न हो, अन्ततः उसका प्रभाव शरीर के लिए घातक ही सिद्ध होता है इसलिए पुरुषों को चाहिए कि जहां तक सम्भव हो सके उससे अपने-आपको को हरसम्भव बचाने का भरपूर प्रयत्न अवश्य करे क्योंकि इससे सिर्फ शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी उसके जीवन में इसका बहुत ही बुरा और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है जो उसके लिए किसी भी दृष्टि से अच्छी बात नहीं होती.


आजकल के परिवेश में अधिकांश पुरुष विभिन्न प्रकार की बुरी आदतों के शिकार अवश्य होते हैं. किसी भी प्रकार का नशा करना हमारे समाज में आज एक पैशन बन गया है जिससे उसका शरीर और मन असमय ही अनावश्यक और अनपेक्षित समस्याओं से ग्रसित हो जाता है तथा इस वजह से उसका बहुत ही प्रतिकूल प्रभाव उसके यौनांगों पर भी पड़ता है जिसके दुष्परिणामस्वरूप उसमें लैंगिक शिथिलता घर करने लग जाती हैं जिससे वह अनावश्यक रूप से इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसे गम्भीर यौन-रोग का शिकार हो जाता है.


किसी भी पुरुष को अगर अपने जीवन में पोर्न फिल्मों को देखने के प्रति आकर्षण हो तो उसे आवश्यक रूप से यह चाहिए कि वह अविलंब अपने इस आकर्षण की परिधि से बाहर निकलने का भरपूर प्रयास करे क्योंकि एक ओर तो यह उसे मानसिक रूप से पंगु बनाता है तो वहीं दूसरी ओर यह उसे लैंगिक रूप से बहुत ही बुरी तरह नपुंसकता की चपेट में भी ले लेता है.


जब कोई भी पुरुष बारम्बार पोर्न फिल्मों को देखता है तो वह मानसिक रूप से अनावश्यक कुंठा का शिकार हो जाता है जो उसके पुरुषार्थ और उसके पौरूषेय बल को क्षीण करता है तथा उसे नपुंसकता के गर्त में भी धकेल देता है जो कि एक पुरुष के लिए बेहद ही खतरनाक स्थिति होती है क्योंकि पोर्न फिल्मों को देखने से व्यक्ति का मनोमस्तिष्क सदैव ही बुरे विचारों से ओत-प्रोत रहता है और जैसा कि उसने पोर्न फिल्मों में देखा हुआ होता है ठीक वैसा ही जब वह अपने वास्तविक जीवन में अपनी महिला पार्टनर के साथ करना चाहता है तो वह ऐसा करने में कदापि सक्षम नहीं हो पाता है और इसका दुष्परिणाम यह होता है कि वह अनावश्यक रूप से अवसादग्रस्त स्थिति में आ जाता है और इस वजह से उसका जीवन किसी भी प्रकार से खुशहाल नहीं रह पाता है क्योंकि पोर्न फिल्में पुरुषों को उसकी वास्तविकता से कोसों दूर ले जाती है इसलिए भी पुरुषों को यह चाहिए कि शरीर और मन पर नकारात्मक प्रभाव डालनेवाली ऐसी किसी भी प्रकार की  बुरी लत से छुटकारा पाने हेतु भरपूर कोशिश करे ताकि वह असमय ही अनावश्यक परिस्थितियों का शिकार होने से स्वयं को बचाए रखने में पूर्णतया कामयाब हो सके क्योंकि एक स्वस्थ शरीर में ही बेहतरीन यौन-सुख प्राप्त करने की क्षमता निहित होती है और इसके अभाव में पुरुषों को लैंगिक विद्रूपताओं के मकड़जाल में उलझने हेतु विवश हो जाना पड़ता है तथा इसके साथ ही उसे अपनी जिन्दगी में यौन-सुख से वंचित हो जाना उसकी नियति बन जाती है.


यों तो आमतौर पर बढ़ती हुई उम्र के साथ-ही-साथ अन्य कई प्रकार के अज्ञात कारणों की वजह से भी आजकल पुरुषों में विभिन्न प्रकार की यौन-समस्याएं घर करने लग जाती हैं. यह कहना निराधार नहीं होगा कि वर्तमान समय में पुरुषों की आबादी का एक बहुत बड़ा वर्ग असमय ही किसी-न-किसी प्रकार की  यौन-समस्याओं से ग्रस्त होता चला जा रहा है और ऐसे में यौन-समस्याओं से पीड़ित होने की वजह से पुरुषों की शादी-शुदा जिन्दगी पर भी खतरे की घंटी मंडराने लगती है और जहां उसके आपसी रिश्तों में गर्माहट होनी चाहिए थीं, वहां तल्खियां घर करने लग जाती हैं. अनावश्यक रूप से रिश्तों के टूटने का डर भी उसमें व्याप्त होने लगता है. पीड़ित पुरुष बे
वजह चिन्ता और घुटन भरी जिन्दगी जीने पर मजबूर होकर अवसादग्रस्त हो जाता है. इसलिए किसी भी स्थिति में इरेक्टाइल डिस्फंक्शन से पीड़ित पुरुष को यह चाहिए कि वह अपने इस रोग को हल्के में न ले और इसके उपचार की दिशा में अविलंब तत्पर होने की भरपूर कोशिश करे.


इस तरह की अवस्था में पुरुषों के लिए यह नितान्त रूप से आवश्यक है कि वह अज्ञात पारिवारिक व सामाजिक भय, सहज संकोच और शर्मिंदगी को छोड़ते हुए बगैर विलम्ब किए किसी कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सम्बन्धित समस्याओं को लेकर निःसंकोच होकर खुलकर बात करे ताकि उनके उचित परामर्श और उनकी कुशल चिकित्सा से वह अपने इस गम्भीर यौन-रोग से निजात पाने में कामयाब हो सके.


इरेक्टाइल डिस्फंक्शन जैसे गम्भीर यौन-रोग की समस्या से निजात पाने के लिए पुरुषों को यह चाहिए कि वह सकारात्मक सोंच के साथ ही अपनी जीवन-शैली को भी संयमित और संतुलित बनाए रखने के लिए आवश्यक रूप से प्रयत्नशील हो. इसके लिए उसे मानसिक दृढ़ता के साथ ही एक संयमित दिनचर्या में भी स्वयं को ढालने की नितान्त रूप से आवश्यकता है. उसे अपने जीवन में नित्य-प्रति योग, ध्यान और व्यायाम के जरिए अपने खोए हुए मनोबल को पुनः प्राप्त करने की दिशा में भी अग्रसर होना होगा और ऐसा करने हेतु उसे निश्चित रूप से इसके प्रति, प्रतिबद्ध भी होना होगा और तभी जाकर वह पुरुष अपने इस गम्भीर यौन-रोग के चंगुल से मुक्त होकर एक खुशहाल यौन-जीवन जीने की परिकल्पना कर सकता है.

कोई भी पुरुष अगर अपनी दिनचर्या में प्रतिदिन नियमित रूप से योग, ध्यान और व्यायाम नहीं करता, संतुलित और पौष्टिक आहार को प्राथमिकता नहीं देता, शराब, सिगरेट, ड्रग्स, प्रतिबंधित दवाओं के सेवन और किसी भी प्रकार के नशीले पदार्थों से स्वयं को दूर नहीं रखता तथा इसके साथ ही अनावश्यक तनाव और व्यर्थ की चिन्ता से भी स्वयं को मुक्त रखने का निरन्तर प्रयास नहीं करता तो उसका लिंग किसी भी स्थिति में अपनी महिला पार्टनर के साथ सेक्स-सम्बन्ध स्थापित करने में कदापि सक्षम नहीं हो सकता है. इसलिए पुरुषों के लिए यह नितान्त रूप से आवश्यक है कि वह अविलंब धूम्रपान का त्याग करे, अपनी दिनचर्या को संयमित करे, संतुलित व स्वस्थ आहार-व्यवहार को अपनी नियमित जीवन-शैली का हिस्सा बनाए, शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से सक्रिय रहने का भरपूर प्रयत्न करे, प्रतिदिन नियमित रूप से योग, ध्यान और व्यायाम करे, किसी अन्य प्रकार के शारीरिक रोगों पर नियन्त्रण पाने का प्रयत्न करे, सुखद नींद की प्राप्ति हेतु अनुकूल उपाय करे तो निश्चित रूप से इस बात की संभावनाएं काफी बलवती हो सकती हैं कि उसके स्वयं के द्वारा किए गए इन उपायों से वह इस गम्भीर यौन-रोग से आवश्य ही निजात पा सकता है परन्तु यहां ध्यान देने योग्य विशेष बात यह भी है कि इस रोग की गम्भीरता की वजह से इसके लिए एक कुशल यौन-रोग विशेषज्ञ से सलाह व परामर्श लेना भी नितान्त आवश्यक है क्योंकि उन्हीं की सलाह एक बार फिर से उसे अपनी जिन्दगी को एक नए रस से सराबोर कर पाने के साथ-ही-साथ उसे खुशनुमा बनाने में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेगी और वह पुनः अपनी जिन्दगी में यौन-सुख का परम आनन्द प्राप्त कर पाने में सक्षम हो पाएगा.


जो कोई भी पुरुष अगर अपने जीवन में ऐसे उपायों को अपनी जीवन-शैली में अपना लेता है तो यह बहुत हद तक सम्भव है कि वह निश्चित रूप से अपने इस गम्भीर यौन-रोग की समस्या से निजात पा सकता है और उसका लिंग सेक्स-सम्बन्ध स्थापित करने हेतु अनुकूल तनाव व पर्याप्त कठोरता को बहुत ही सुगमता पूर्वक प्राप्त कर पाने में सक्षम हो सकता है और इतना ही नहीं बल्कि वह अपनी महिला पार्टनर के साथ भरपूर यौन-सुख का परम आनन्द प्राप्त कर पाने में भी सक्षम हो सकता है और इसके साथ ही अपने यौन-जीवन को भी खुशहाल बनाने में कामयाब हो सकता है.


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